एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने बताया कि 20 और 21 नवंबर को स्ट्राइक बैलेट होगा। रेलवे और डिफेंस कर्मियों से अनिश्चितकालीन हड़ताल के मत का संग्रहण किया जाएगा। रेलवे के 11 लाख और रक्षा क्षेत्र के 4 लाख कर्मचारी मतदान में हिस्सा लेंगे। दो तिहाई बहुमत होने पर, देश में अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी। देशभर में ‘पुरानी पेंशन बहाली’ के लिए सरकारी कर्मियों की मुहिम जारी है। केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन ‘पुरानी पेंशन’ के लिए लड़ाई कर रहे हैं।
नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के वरिष्ठ सदस्य सी. श्रीकुमार ने समर्थन जताया है। अगले महीने 20 और 21 नवंबर को हड़ताल का निर्णय होगा। रेलवे और डिफेंस सेक्टर के कर्मचारी संघों का संगठन हड़ताल में शामिल होगा। अगर दो तिहाई बहुमत हो, तो राज्यों के सरकारी कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल होंगे। हड़ताल के माध्यम से ‘पुरानी पेंशन बहाली’ की मांग को बढ़ावा मिलेगा। सी. श्रीकुमार ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का समर्थन किया है। अगर हड़ताल होती है, तो सभी सिविल महकमों के अलावा राज्यों के कर्मचारी भी शामिल होंगे। देशव्यापी संघर्ष में सरकारी कर्मचारी संघों का साथ है। संघर्ष के माध्यम से कर्मियों की मांगों को सुनिश्चित करने का प्रयास हो रहा है।
शीर्ष बॉडी की बैठक में होगा निर्णय
गुरुवार को सी. श्रीकुमार ने बताया कि 20 और 21 नवंबर को पुरानी पेंशन के लिए स्ट्राइक बैलेट होगा। भारतीय रेलवे के 11 लाख कर्मचारी इस मतदान में हिस्सा लेंगे। रेलवे कर्मियों ने ‘ओपीएस’ पर हड़ताल के पक्ष में अपनी राय दी है। डिफेंस इंडस्ट्री के चार लाख कर्मचारी भी स्ट्राइक बैलेट में शामिल होंगे। इन विभागों में वोटिंग करना नियमानुसार अनिवार्य है। रक्षा क्षेत्र की यूनिटों का स्ट्राइक बैलेट का परिणाम 21 नवंबर को आएगा।
- रेलवे का परिणाम तीन दिन बाद मिलेगा और उसके बाद बॉडी की बैठक होगी।
- अगर दो-तिहाई कर्मचारी स्ट्राइक के पक्ष में होते हैं, तो राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा होगी।
- डीआरडीओ की लैब और आयुद्ध कारखाने भी स्ट्राइक बैलेट में शामिल होंगे।
- राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शिक्षक और अन्य कर्मचारी भी शामिल होंगे।
- केंद्र और राज्यों में अनिश्चितकालीन हड़ताल की स्थिति में सरकारी कर्मचारी असमय छुट्टी पर जा सकते हैं।
- रेल, आयुद्ध कारखाने, और रक्षा इकाइयों में काम बंद होगा।
- स्ट्राइक बैलेट के नतीजे की चर्चा बॉडी बैठक में होगी।
- विभिन्न राज्यों के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल होंगे।
- कर्मचारी संगठनों की शीर्ष बॉडी बैठक में स्ट्राइक बैलेट के परिणामों पर चर्चा होगी।
अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प
सी. श्रीकुमार के अनुसार, केंद्र और राज्य के कर्मचारी पुरानी पेंशन के लिए एक साथ आ गए हैं। देशभर में सभी कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर सहमत हैं। विभिन्न संगठनों ने ओपीएस में शामिल होने की बात कही है। बैंक और इंश्योरेंस सेक्टर के कर्मियों के साथ सकारात्मक बातचीत हुई है। कर्मचारियों ने सरकार से पुरानी पेंशन की मांग की, लेकिन सुनी नहीं गई। अब कर्मचारियों के पास अनिश्चितकालीन हड़ताल ही विकल्प है।
दस अगस्त को रामलीला मैदान में लाखों कर्मियों ने ‘ओपीएस’ के खिलाफ हुंकार भरी। कर्मचारियों ने सरकार से फॉर्मूला मांगा जिससे कोई नुकसान नहीं होगा। अगर सरकार ने ओपीएस नहीं लागू किया, तो ‘भारत बंद’ की तरह कठोर कदम उठाए जाएंगे। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को जिद्द छोड़ना होगा।
किसे भुगतना पड़ेगा राजनीतिक नुकसान
सी.ओपीएस के लिए एनजेसीए की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने कहा, पुरानी पेंशन लागू नहीं होती, भाजपा को खामियाजा भुगतना पड़ेगा। जेसीएम सचिव मिश्रा ने कहा, चुनाव में उलटफेर करने के लिए पुरानी पेंशन योजना निर्णायक है। कर्मियों और पेंशनरों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव से पहले यह साजिश भाजपा को नुकसान पहुंचा सकती है।
- वित्त मंत्रालय की कमेटी में ‘ओपीएस’ का जिक्र नहीं है, बल्कि एनपीएस में सुधार की बात है।
- केंद्र सरकार ओपीएस लागू करने के मूड में नहीं है, इसे मंजूर नहीं करेगी।
- कर्मियों का मकसद है, ‘एनपीएस’ को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना।
- एनपीएस में चाहे जो भी सुधार किया जाए, कर्मियों को मंजूर नहीं है।
- सी.ओपीएस के कर्मचारी और अन्य संगठन एक साथ आंदोलन कर रहे हैं।
- भाजपा को पुरानी पेंशन योजना के खिलाफ उलटफेर से खतरा है।
- चुनाव से पहले यह विवाद राजनीतिक माहौल में उत्पन्न कर सकता है।
- कर्मियों का आंदोलन सरकार को चुनावी नीति पर विचार करने पर मजबूर कर रहा है।
18 साल बाद रिटायर हुए कर्मी को मिली इतनी पेंशन
शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि एनपीएस में मिलने वाली पेंशन बुढ़ावा है। कर्मियों ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों की संख्या दस करोड़ के पार है। अगर ओपीएस नहीं लागू होता, तो भाजपा को चुनाव में नुकसान होता। कांग्रेस ने ओपीएस को चुनावी एजेंडे में शामिल किया है। कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में ओपीएस की भूमिका थी। एनपीएस स्कीम में शामिल कर्मियों को मासिक पेंशन मिलती है, जो बहुत कम है। पुरानी पेंशन व्यवस्था में, कर्मचारियों को अधिक पेंशन मिलती थी। एनपीएस में शेयर बढ़ाने से कर्मियों को कम फायदा होता है। रेलवे और रक्षा क्षेत्र में लाखों कर्मचारी ओपीएस के खिलाफ हैं। विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकारी संगठन भी ओपीएस के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।